प्रस्तावना
2024 का बजट सत्र राजनीति की तस्वीर बदलने वाला साबित हुआ। जहां आमतौर पर अर्थव्यवस्था, महंगाई या रोजगार पर बहस होती, इस बार वक्फ संशोधन विधेयक ने माहौल गरमा दिया। इस विधेयक के पारित होते ही बीजेपी ने न सिर्फ अपनी पुरानी ताकत वापस पाई, बल्कि सहयोगी दलों पर भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 क्या है?
वक्फ, मुस्लिम समुदाय की संपत्ति प्रबंधन संस्था है जो सामाजिक और धार्मिक कार्यों से जुड़ी होती है। 2024 का संशोधन विधेयक वक्फ संपत्तियों की निगरानी और पारदर्शिता बढ़ाने की बात करता है। लेकिन मुस्लिम समाज को इस बात की चिंता है कि इससे उनकी धार्मिक स्वायत्तता खतरे में पड़ सकती है।
मुख्य बदलाव:
- वक्फ दस्तावेजों की सार्वजनिक जांच का प्रावधान
- केंद्र को वक्फ बोर्ड के कामकाज में दखल का अधिकार
- संपत्ति विवादों पर फास्ट-ट्रैक कोर्ट व्यवस्था
संसद में विधेयक की स्थिति
लोकसभा: 288 समर्थन में, 232 विरोध में
राज्यसभा: 128 पक्ष में, 95 विपक्ष में
मतों से साफ हो गया कि अब एनडीए के दल बीजेपी के इशारे पर चलने लगे हैं।
बीजेपी की रणनीति: एकतरफा पकड़
बीजेपी ने इस बार सहयोगी दलों को अपने एजेंडे में पूरी तरह समेट लिया। संसद में व्हिप जारी करने से लेकर बंद कमरे की बैठकें—सबकुछ सोच-समझकर किया गया। जो नेता कभी मुस्लिम मतदाताओं के प्रति नरम रुख रखते थे, वे अब या तो चुप हैं या बीजेपी के सुर में सुर मिला रहे हैं।

बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस की चुप्पी
इन दोनों दलों ने राज्यसभा में अपने सांसदों के लिए कोई व्हिप नहीं जारी किया।
संभावित वजहें:
- केंद्र से वित्तीय मदद की उम्मीद
- बीजेपी से भविष्य के गठबंधन की संभावना
- सीधा टकराव टालने की रणनीति
अगस्त 2024 की तुलना
जब पहली बार विधेयक पेश हुआ था, तब विरोध इतना तीखा था कि सरकार को इसे जेपीसी को सौंपना पड़ा। उस वक़्त बीजेपी सहयोगियों के दबाव में थी। अब पूरा समीकरण पलट चुका है।
तब: सहयोगी हावी थे
अब: बीजेपी की पकड़ सबसे ऊपर है
जेपीसी की रिपोर्ट: केवल औपचारिकता
जेपीसी ने टीडीपी के तीन सुझावों को शामिल करने की बात कही, लेकिन ज़मीन पर इसका असर ना के बराबर है। ये कदम ज़्यादा दिखावे जैसे लगे।
सहयोगी नेताओं की सोच में बदलाव
नीतीश, नायडू और पासवान जैसे नेता अब बीजेपी के साथ खुलकर खड़े हैं, जबकि पहले अल्पसंख्यकों की भावनाओं को महत्व देते थे।
बदलाव के पीछे:
- राजनीतिक दबाव
- केंद्र की मदद की ज़रूरत
- व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं
मुस्लिम समुदाय की नाराज़गी
जिन नेताओं पर भरोसा था, वही चुप हैं। इससे समुदाय में गहरी निराशा है।
प्रतिक्रियाएं:
- खुद को ठगा हुआ महसूस करना
- धार्मिक अधिकारों पर खतरे की आशंका
- नेताओं से दूरी बनाना
बिहार की राजनीति: बीजेपी की चालें
बिहार में बीजेपी ने जेडीयू को धीरे-धीरे किनारे लगाया है। पार्टी के छह मुस्लिम नेता पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं, जिससे अल्पसंख्यकों में जेडीयू की पकड़ कमज़ोर हुई है—इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला है।
चुनावों में असर
बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी अब निर्णायक भूमिका में है। सहयोगी दल टिकट बंटवारे में भी बीजेपी की शर्तें मानने को मजबूर होंगे।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन विधेयक का पारित होना सिर्फ एक कानूनी कदम नहीं, बल्कि बीजेपी की ताकत का नया प्रतीक बन गया है। एनडीए अब पूरी तरह बीजेपी के नियंत्रण में आ चुका है, और यह स्थिति देश की राजनीति में दूरगामी प्रभाव डालेगी, खासकर अल्पसंख्यकों की नीतियों पर।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. वक्फ संशोधन विधेयक क्या है?
यह विधेयक वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लाया गया है।
2. सबसे ज़्यादा विरोध किससे आया?
मुख्यतः विपक्ष और मुस्लिम समुदाय से।
3. क्या सभी सहयोगियों ने समर्थन किया?
हाँ, ज़्यादातर ने खुलकर या चुपचाप समर्थन दिया।
4. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने वोटिंग में हिस्सा क्यों नहीं लिया?
उन्होंने व्हिप जारी नहीं किया, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से विधेयक पारित हो गया।
5. मुस्लिम नेताओं ने क्या किया?
कुछ ने शुरुआती विरोध किया लेकिन अंत में चुप रहे।
6. विधानसभा चुनावों पर क्या असर होगा?
बीजेपी का वर्चस्व और बढ़ेगा, सहयोगी दल और निर्भर हो जाएंगे।