वनतारा चिड़ियाघर विवाद: संरक्षण केंद्र या वन्यजीव व्यापार का गुप्त अड्डा?

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March 15, 2025

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भारत के प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी द्वारा गुजरात में संचालित वनतारा चिड़ियाघर अब अंतरराष्ट्रीय विवादों के केंद्र में आ गया है। जर्मन पत्रिका सूडॉयचे ज़ाइटुंग की एक खोजी रिपोर्ट ने इस परियोजना की पारदर्शिता और इसकी असली मंशा पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

वनतारा चिड़ियाघर: एक परिचय

गुजरात के जामनगर में स्थित यह 3,000 एकड़ का विशाल वन्यजीव केंद्र 39,000 से अधिक जानवरों का घर बताया जाता है। वनतारा को संरक्षण और पुनर्वास केंद्र के रूप में प्रचारित किया गया है, लेकिन हालिया रिपोर्टों के अनुसार, यह वन्यजीव व्यापार से जुड़ा हो सकता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यहाँ मौजूद कई जानवर, जैसे शेर, चीते, जगुआर और विदेशी प्रजातियाँ, जंगल से पकड़े गए हो सकते हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों के जरिए लाया गया है।

वन्यजीव व्यापार के आरोप

दक्षिण अफ्रीका की वन्यजीव संरक्षण संस्था वाइल्डलाइफ एनिमल प्रोटेक्शन फोरम ऑफ साउथ अफ्रीका (WAPFSA) के अनुसार, बड़ी संख्या में जानवर दक्षिण अफ्रीका से वनतारा लाए गए हैं। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि:

  • 56 चीते, 52 कैरेकल, 19 तेंदुए, 90 शेर और अन्य प्रजातियाँ दक्षिण अफ्रीका से आयात की गई हैं।
  • इन जानवरों को प्रजनन सुविधाओं से खरीदा गया और अब इनका इस्तेमाल “प्रजनन मशीनों” के रूप में किया जा रहा है।
  • कई जानवरों का मूल स्रोत अज्ञात है, जिससे अवैध व्यापार की आशंका बढ़ जाती है।

वनतारा: संरक्षण केंद्र या व्यापार का गुप्त ठिकाना?

वनतारा को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सच में एक संरक्षण केंद्र है या फिर वन्यजीवों के व्यापार का एक नया मॉडल? चिड़ियाघर संचालकों का दावा है कि:

  • यहाँ के कई जानवर सर्कस, अवैध व्यापार या खराब प्रबंधित चिड़ियाघरों से बचाए गए हैं।
  • कुछ जानवर जंगल में घायल पाए गए थे या तस्करी से जब्त किए गए थे।
  • यहाँ 500 से अधिक पशु डॉक्टरों और देखभाल करने वालों की टीम काम कर रही है।

लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी बंद सुविधा में जानवरों को रखना प्राकृतिक जीवन के बराबर नहीं हो सकता। साथ ही, जब इन जानवरों का मूल स्रोत अज्ञात हो, तो संरक्षण के दावे संदिग्ध हो जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करी और वनतारा की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक वन्यजीव तस्करी उद्योग हर साल 7 से 23 अरब डॉलर का होता है, जो ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के बाद तीसरा सबसे बड़ा आपराधिक उद्योग है। संरक्षित प्रजातियों, जैसे शेर, बाघ और गैंडे, को अक्सर शिकार कर तस्करी के माध्यम से निजी चिड़ियाघरों, सर्कसों या अमीर लोगों के संग्रह में पहुँचाया जाता है।

2023 में, मैक्सिकन अधिकारियों ने एक निजी चिड़ियाघर से कई शेर और बाघ जब्त किए, क्योंकि उनके कानूनी स्रोत की जानकारी उपलब्ध नहीं थी। इन जानवरों को बाद में वनतारा में भेज दिया गया, जिससे और विवाद खड़ा हो गया।

भारतीय मीडिया की भूमिका और आरोप

वनतारा को लेकर जब सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी, तो कुछ प्रमुख भारतीय मीडिया हाउस, जैसे डेक्कन हेराल्ड, फाइनेंशियल एक्सप्रेस और टेलीग्राफ, ने इससे संबंधित रिपोर्टों को हटा दिया या संपादित कर दिया। फैक्ट-चेकिंग प्लेटफॉर्म ऑल्ट न्यूज के अनुसार, हजारों फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स से वनतारा के समर्थन में प्रचार किया गया।

ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के अनुसार, हर 5 सेकंड में एक ट्वीट किया गया, जिससे पीआर कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जाने की संभावना जताई जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी का वनतारा दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वनतारा का उद्घाटन किया और वहाँ काफी समय बिताया। अंबानी परिवार ने मोदी की उपस्थिति के लिए उनका आभार भी जताया। मोदी ने खुद सोशल मीडिया पर वहाँ की तस्वीरें साझा कीं। इससे यह सवाल और उठने लगे कि क्या सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी या नहीं।

आरटीआई खुलासे और नए सवाल

एक हालिया आरटीआई (सूचना का अधिकार) के तहत पता चला कि वनतारा कानूनी रूप से एक चिड़ियाघर के रूप में पंजीकृत नहीं है। इसका मतलब यह है कि यह सुविधा सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चिड़ियाघरों के नियमन के दायरे में नहीं आती। इससे नए सवाल उठते हैं:

  • जिन जानवरों को बचाया गया, वे किन जगहों से लाए गए?
  • छत्तीसगढ़ के जंगल सफारी के दो सफेद भालू भी वनतारा में भेजे जाने वाले हैं, जिससे राज्य में यह प्रजाति खत्म हो जाएगी।
  • अगर यह चिड़ियाघर नहीं है, तो सरकार इसे क्या मानती है?

निष्कर्ष: वनतारा का भविष्य क्या होगा?

वनतारा चिड़ियाघर को लेकर मचे विवाद के बाद अब यह देखना होगा कि सरकार और अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण संगठन इस मुद्दे को कैसे संभालते हैं। अगर यह सच में संरक्षण केंद्र है, तो इसके सभी जानवरों के स्रोतों की पारदर्शी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। लेकिन अगर यह वन्यजीव व्यापार का एक नया तरीका है, तो इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

देश के राजनीतिक दलों को भी इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए। वन्यजीवों का संरक्षण आवश्यक है, लेकिन किसी भी तरह का अवैध व्यापार या गलत मंशा से किया गया प्रजनन स्वीकार्य नहीं हो सकता।

आपकी राय क्या है?

वनतारा को लेकर आपके क्या विचार हैं? क्या यह सच में वन्यजीव संरक्षण के लिए बनाई गई सुविधा है या फिर एक अमीर परिवार का विलासितापूर्ण शौक? हमें कमेंट में बताइए!

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