महाराष्ट्र सरकार के 100 दिन: विकास, सूखा प्रबंधन और सुशासन की दिशा में ठोस पहल

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March 21, 2025

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परिचय
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सरकार के पहले 100 दिनों की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए एक YouTube कार्यक्रम में राज्य की प्राथमिकताओं और भविष्य की योजनाओं को विस्तार से रखा। इन 100 दिनों में सरकार ने सूखा प्रबंधन, कृषि सुधार, औद्योगिक विकास, डिजिटल पहल और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर गंभीरता से काम किया है। यह लेख इन पहलों का विश्लेषण करते हुए बताता है कि कैसे यह सरकार “सुशासन” और “टिकाऊ विकास” के लिए प्रतिबद्ध है।


1. सूखा प्रबंधन और जल संरक्षण: तात्कालिक राहत से लेकर दीर्घकालिक समाधान तक

महाराष्ट्र के 24,000 गाँव सूखे की चपेट में हैं। सरकार ने 7,000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की, जिसमें किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता दी जा रही है। लेकिन, असली जोर ‘जलयुक्त शिवार’ जैसी दीर्घकालिक योजनाओं पर है।

  • जलयुक्त शिवार अभियान: इसके तहत 5,000 गाँवों को सूखा-मुक्त बनाने का लक्ष्य है। इसमें 14 विभिन्न योजनाओं का अभिसरण करके जलसंचयन के उपाय (जैसे तालाबों का नवीनीकरण, नालों का पुनरुद्धार) किए जा रहे हैं।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण: प्रत्येक गाँव का ‘जल लेखा परीक्षण’ कर भूगर्भीय स्थिति के अनुसार समाधान तैयार किए गए हैं। उदाहरण के लिए, विदर्भ में ‘शिरपुर पैटर्न’ (छोटे बांधों की श्रृंखला) अपनाया गया है।
  • सिंचाई परियोजनाएँ: 70 लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया है, जिससे राज्य की सिंचाई क्षमता 18% से बढ़ाकर 27% करने का लक्ष्य है।

फडणवीस का मानना है: “किसानों की आत्महत्या हमारे लिए शर्म की बात है। जब तक कृषि लाभकारी नहीं होगी, राज्य का विकास अधूरा है।”

 देवेंद्र फडणवीस

2. कृषि क्रांति: उत्पादकता बढ़ाने से लेकर मार्केट लिंकेज तक

  • मूल्य श्रृंखला विकास: 14 फसलों के लिए किसानों को बाजार से सीधा जोड़ने की योजना है। इससे कपास, सोयाबीन जैसी फसलों का मूल्य निर्धारण पारदर्शी होगा।
  • ड्रिप सिंचाई को प्रोत्साहन: पानी की बचत और उत्पादकता बढ़ाने के लिए 5 लाख सौर पंप लगाने का लक्ष्य।
  • किसान क्रेडिट कार्ड: 80 लाख नए खाते खोलकर साहूकारों पर निर्भरता कम करने की पहल।

आँकड़े: पिछले 5 वर्षों में कृषि पर 34,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जबकि नई सरकार ने 100 दिनों में ही 7,000 करोड़ रुपए की राहत दी।


3. औद्योगिक विकास और ‘मेक इन महाराष्ट्र’

  • ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: MIDC (महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम) द्वारा उद्योग स्थापित करने की अनुमति प्रक्रिया को 76 से घटाकर 25 चरणों में कर दिया गया। CEAT कंपनी को 20 दिनों में ही जमीन आवंटन इसका उदाहरण है।
  • वैश्विक निवेश आकर्षण: दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच में महाराष्ट्र ने 10 बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनसे 25 लाख रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

फडणवीस का दृष्टिकोण: “युवाओं को रोजगार देना हमारी प्राथमिकता है। निवेश के बिना विकास संभव नहीं।”

 देवेंद्र फडणवीस

4. डिजिटल महाराष्ट्र: पारदर्शिता और सेवा गारंटी

  • ई-गवर्नेंस: सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन पोर्टल (ई-सेवा) के माध्यम से उपलब्ध कराने की शुरुआत। शिकायत निवारण, भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण और ई-ऑफिस जैसे कदम।
  • सेवा गारंटी विधेयक: यह सुनिश्चित करेगा कि नागरिकों को समयसीमा में सेवाएँ मिलें, अन्यथा अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
  • महिला सुरक्षा: CCTV नेटवर्क का विस्तार और मोबाइल ऐप के जरिए इमरजेंसी अलर्ट की सुविगा।

5. सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक न्याय

  • छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक: अरब सागर में 210 फीट ऊँची प्रतिमा का निर्माण, जो दुनिया की सबसे ऊँची समुद्री प्रतिमा होगी।
  • डॉ. अंबेडकर का लंदन स्थित घर: महाराष्ट्र सरकार ने इसे खरीदकर एक सांस्कृतिक केंद्र बनाने का निर्णय लिया है।

फडणवीस का संदेश: “शिवाजी और अंबेडकर हमारी पहचान हैं। इन्हें समर्पित स्मारक समाज को प्रेरित करेंगे।”


6. राजनीतिक स्थिरता और भविष्य की चुनौतियाँ

शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर उठे सवालों के जवाब में फडणवीस ने कहा: “25 साल के साझा अनुभव ने हमें एक-दूसरे की अपेक्षाओं को समझाया है। सरकार जनता के लिए काम कर रही है।”

हालांकि, अभी भी कुछ चुनौतियाँ शेष हैं:

  • बिजली की उच्च लागत: कोयले की कीमत और प्लांट दक्षता में सुधार की आवश्यकता।
  • कौशल विकास: युवाओं को रोजगार के अनुरूप प्रशिक्षण देने की जरूरत।

निष्कर्ष: सुशासन की ओर बढ़ते कदम

महाराष्ट्र सरकार के 100 दिनों का सार यह है कि यह “राहत से विकास” की ओर बढ़ रही है। सूखा प्रबंधन और कृषि सुधार जैसे तात्कालिक मुद्दों के साथ-साथ औद्योगिक नीतियों और डिजिटल पहलों ने एक नई उम्मीद जगाई है। फडणवीस का यह कथन इसका सार है: “हमें समय दें, बदलाव दिखेगा।”

इन प्रयासों की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि योजनाओं का क्रियान्वयन कितना प्रभावी होता है और जनता कितनी सहभागी बनती है। महाराष्ट्र अगले पाँच वर्षों में एक मॉडल राज्य के रूप में उभर सकता है, बशर्ते यह गति बनी रहे।

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