परिचय

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात से पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का बड़ा बयान सामने आया है। पुतिन ने साफ कहा है कि दुनिया अब “नए वर्ल्ड ऑर्डर” की ओर बढ़ रही है। उनका कहना है कि यह व्यवस्था एक मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर होगी, जहां किसी एक देश की हेजमनी (दबदबा) नहीं होगी। यह बयान ऐसे समय आया है जब शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का शिखर सम्मेलन चल रहा है और पूरी दुनिया की नज़र इस मुलाकात और बयानों पर टिकी है।


पुतिन का एजेंडा: नया मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर

पुतिन ने अपने संबोधन में तीन अहम बातें कहीं—

  1. मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर: दुनिया अब एकध्रुवीय (Unipolar) नहीं रहेगी। अमेरिका का एकछत्र दबदबा खत्म हो रहा है और नई व्यवस्था में कई शक्तियां मिलकर संतुलन बनाएंगी।
  2. समान सहयोग (Equal Cooperation): सभी देशों के बीच आपसी बराबरी और सहयोग पर जोर दिया गया।
  3. तीसरे देशों का सम्मान (Respect for Third Parties): किसी भी तीसरे देश को निशाना नहीं बनाया जाएगा और हर राष्ट्र की विशिष्टता (Uniqueness) का सम्मान होगा।

यह बयान स्पष्ट रूप से अमेरिका और पश्चिमी देशों की नीति को चुनौती देता है और यह संकेत देता है कि रूस, चीन और भारत मिलकर एक नया वैश्विक ढांचा तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।


पुतिन नया वर्ल्ड ऑर्डर

मोदी शी जिनपिंग मुलाकात

SCO बनाम NATO

रूस चीन भारत संबंध

Multipolar world order in Hindi

पुतिन का बड़ा बयान

अमेरिका का कमजोर पड़ता दबदबा

पुतिन ने जिस “नए वर्ल्ड ऑर्डर” की बात की, उसकी झलक हाल के घटनाक्रमों में साफ दिखती है।

  • अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी (2021) को पुतिन ने अमेरिकी हेजमनी के पतन की शुरुआत बताया।
  • यूक्रेन युद्ध ने भी पश्चिमी देशों की सामूहिक ताकत पर सवाल खड़े किए। नाटो (NATO) के 30 देशों की एकजुटता के बावजूद रूस लगातार मजबूती से खड़ा है।
  • आर्थिक मोर्चे पर भी रूस और चीन ने भारत को अपने मजबूत साझेदार के तौर पर चिन्हित किया है।

इस तरह पुतिन का बयान केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलती तस्वीर का संकेत है।


SCO बनाम NATO: ताकत की तुलना

पुतिन के बयान के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि SCO (Shanghai Cooperation Organisation) आने वाले समय में NATO का संतुलन बिगाड़ सकती है।

  • NATO की ताकत – 30 देश, सामूहिक सुरक्षा ढांचा और अमेरिका की सैन्य शक्ति।
  • SCO की ताकत – दुनिया की 40% आबादी, 20% अर्थव्यवस्था और रूस-चीन की परमाणु क्षमता।

यानी एक तरफ अमेरिका और उसके सहयोगी हैं, तो दूसरी तरफ रूस, चीन, भारत और अन्य एशियाई देश, जो मिलकर एक वैकल्पिक व्यवस्था बना सकते हैं।


भारत और चीन की भूमिका

भारत लंबे समय से बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था (Multipolar World) की वकालत करता आया है।

  • भारत के लिए यह अवसर है कि वह अमेरिका और पश्चिम पर पूरी तरह निर्भर हुए बिना अपनी विदेश नीति को संतुलित रखे।
  • चीन, जो कभी बहुध्रुवीय दुनिया की बात करता था, अब खुद मजबूत होकर बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर चुका है।
  • रूस इन दोनों देशों के बीच पुल (Bridge) का काम कर सकता है, ताकि एशिया में स्थिरता और सहयोग की नई दिशा बन सके।

विशेषज्ञों की राय

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि पुतिन का यह बयान सिर्फ रूस की रणनीति नहीं बल्कि एक वैश्विक संदेश है।

  • प्रो. सतीश कुमार का कहना है कि रूस भारत और चीन को जोड़ने वाली कड़ी है, जो नई विश्व व्यवस्था में अहम भूमिका निभाएगा।
  • राजनयिकों का मानना है कि अमेरिका को सीधी चुनौती देने के बजाय यह “ग्लोबल साउथ” (Global South) को मजबूत करने की कवायद है।

🟢 निष्कर्ष

व्लादिमीर पुतिन का “नए वर्ल्ड ऑर्डर” वाला बयान केवल शब्द नहीं, बल्कि बदलते अंतरराष्ट्रीय समीकरणों का साफ संकेत है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात से पहले आया यह संदेश यह दिखाता है कि आने वाले वर्षों में दुनिया अब एकध्रुवीय नहीं रहेगी।
भारत, रूस और चीन की तिकड़ी (RIC) वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा ढांचे में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। सवाल यह है कि क्या यह नया गठबंधन केवल कागज़ों तक सीमित रहेगा या सचमुच एक नई वैश्विक व्यवस्था (New World Order) की शुरुआत करेगा।

Spread the love