परिचय
देश के कई हिस्सों में हो रही भारी बारिश ने लोगों की ज़िंदगी को थाम कर रख दिया है। पंजाब और हिमाचल प्रदेश में नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। वहीं, भूस्खलन और सड़कें टूटने से पहाड़ी राज्यों में आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। खेत-खलिहान डूब गए हैं, हजारों लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं और प्रशासन लगातार राहत एवं बचाव कार्य में जुटा हुआ है।
पंजाब: खेत बने झील, गांवों में बाढ़ का पानी
पंजाब में सतलुज और ब्यास नदी उफान पर हैं। फसलों वाले खेत तालाब में तब्दील हो गए हैं। कई गांवों में घरों तक पानी भर गया है।
- खेती पर संकट: धान और कपास की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। किसानों का कहना है कि उनकी मेहनत पूरी तरह बर्बाद हो गई है।
- राहत कार्य: प्रशासन ने कई गांवों में नावें तैनात की हैं और लोगों को अस्थायी शिविरों में पहुंचाया जा रहा है।

हिमाचल प्रदेश: भूस्खलन से ठप यातायात
हिमाचल में लगातार हो रही बारिश से कई इलाकों में भूस्खलन हुआ है।
- सड़कें बाधित: शिमला-मनाली और चंडीगढ़-शिमला हाईवे कई जगहों पर बंद हो गया। हजारों यात्री बीच रास्ते फंसे।
- घर और दुकानें क्षतिग्रस्त: किन्नौर, कुल्लू और चंबा जिले में पहाड़ खिसकने से मकानों को भारी नुकसान हुआ है।
- जनहानि: अभी तक कई लोगों की मौत और घायल होने की खबरें हैं।
उत्तराखंड और अन्य राज्य: खतरे का अलर्ट
उत्तराखंड में गंगा और यमुना नदी उफान पर हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश में लोग नदी किनारे जाने से डर रहे हैं।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी बाढ़ का पानी घरों तक घुस आया है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग और विशेषज्ञों की चेतावनी
मौसम विभाग (IMD) ने कहा है कि मॉनसून के सक्रिय रहने के कारण अगले कुछ दिनों तक राहत की संभावना नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार,
- लगातार बढ़ती बारिश और जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं।
- पहाड़ी राज्यों में अनियंत्रित निर्माण कार्य और जंगलों की कटाई इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं।
राहत और बचाव कार्य
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रबंधन दल सक्रिय हैं।
- कई जिलों में हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
- मेडिकल कैंप और अस्थायी आश्रय स्थल बनाए गए हैं।
- सरकार ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने और फसलों की क्षति का सर्वे कराने का आश्वासन दिया है।
स्थानीय लोगों की परेशानी
राहत शिविरों में रहने वाले लोगों का कहना है कि पीने का पानी और दवाओं की कमी है।
किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं क्योंकि उनके पास अगली फसल के लिए बीज और पूंजी नहीं बची।
निष्कर्ष
पंजाब, हिमाचल और अन्य राज्यों में बारिश-बाढ़ और भूस्खलन से उपजा संकट एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों के साथ किस तरह तालमेल बिठाना चाहिए। केवल राहत और बचाव कार्य ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि दीर्घकालिक योजना बनाना और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को स्वीकार करना अब समय की मांग है।