दिल्ली/वॉशिंगटन, 28 अगस्त 2025


Apple का बहुप्रतीक्षित iOS 26 ऑपरेटिंग सिस्टम अगले महीने लॉन्च होने जा रहा है, लेकिन इसके लांच से पहले ही अमेरिका की राजनीति में हलचल मच गई है। विशेषकर रिपब्लिकन पार्टी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक इसे लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि iOS 26 में शामिल किए जा रहे कुछ नए फीचर्स उनके चुनाव प्रचार और फंडरेज़िंग प्रयासों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

iOS 26 में ऐसा क्या नया है?

Apple हर साल की तरह इस बार भी अपने iPhone उपयोगकर्ताओं के लिए नया ऑपरेटिंग सिस्टम लेकर आ रहा है। iOS 26 में डिज़ाइन सुधार, ऐप्स के लिए बेहतर निष्पादन और सुरक्षा प्रॉपर्टीज शामिल हैं। लेकिन सबसे अधिक सुर्ख़ियोंमें है-इसका नया टेक्स्ट फ़िल्टरिंग सिस्टम

Apple ने हाल ही में डेवलपर्स के लिए iOS 26 का बीटा संस्करण जारी किया है, जिसमें यह पाया गया है कि अज्ञात नंबरों से आने वाले टेक्स्ट मैसेज (जिनका चैट हिस्ट्री में रिकॉर्ड नहीं होता) को सीधे किसी अलग फ़ोल्डर में भेजा जाएगा। विशेष बात यह है कि इन संदेशों के लिए फोन पर कोई नोटिफिकेशन भी नहीं आएगा।

ज्ञात नंबरों से आने वाले संदेशों पर यह नियम लागू नहीं होगा। यानी अगर नंबर आपके कॉन्टैक्ट में सेव है या पहले से बातचीत हो चुकी है, तो संदेश सामान्य रूप से नोटिफिकेशन के साथ इनबॉक्स में आएगा।

रिपब्लिकन्स की चिंता क्यों?

अमेरिकी राजनीति में चुनाव प्रचार और फंडरेज़िंग का एक बड़ा हिस्सा टेक्स्ट मैसेजिंग के ज़रिए होता है। चुनाव से पहले राजनीतिक दल लाखों मतदाताओं तक पहुँचने के लिए मैसेज भेजते हैं। कई बार ये मैसेज अनजान नंबरों से आते हैं क्योंकि पार्टी के पास सभी मतदाताओं के नंबर सेव नहीं होते।

रिपब्लिकन पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि Apple का यह नया फीचर उनके चुनाव प्रचार को असमान रूप से प्रभावित करेगा। कारण यह है कि उनके अनुसार रूढ़िवादी (Conservative) मतदाताओं को टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए जोड़ने की रणनीति पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रही है।

लॉन्चपैड स्ट्रैटेजीज़ और उसकी मूल कंपनी अमेरिकन मेड मीडिया के अधिकारियों ने फॉक्स न्यूज़ डिजिटल से बातचीत में कहा कि अगर यह अपडेट लागू हो गया तो रिपब्लिकन अभियान के लिए धन जुटाने और मतदाताओं तक पहुँचने के प्रयासों पर “अनुचित ब्रेक” लग सकता है।

क्या यह बिग टेक विवाद का नया अध्याय है?

यह विवाद बहुत पुराना है। अमेरिकी राजनीति में पहले भी सोशल मीडिया और टेक कंपनियों पर पक्षपात का दोषारोपण होता रहा है। रिपब्लिकन्स का दावा है कि Facebook, Twitter (अब X) और Google जैसी कंपनियों ने पहले उनके संदेशों को सेंसर किया था। iOS 26 का यह अपडेट उसी बहस को फिर से हवा देता दिख रहा है।

हालांकि Apple ने अब तक इस फीचर के पीछे किसी राजनीतिक उद्देश्य से मना किया है। कंपनी का कहना है कि यह परिवर्तन केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा और स्पैम संदेशों से सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

टेक विशेषज्ञों का मानना है कि Apple का यह कदम गोपनीयता और सुरक्षा के लिहाज से सही है। आज के दौर में स्पैम और फ़िशिंग संदेशों के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में अनजान नंबर से आने वाले संदेशों को अलग फ़ोल्डर में डालने का निर्णय उपयोगकर्ताओं को संभावित धोखाधड़ी से बचा सकता है।

हालाँकि, चुनावी दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसका असर दोनों पार्टियों पर हो सकता है, न कि केवल रिपब्लिकन्स पर। डेमोक्रेट्स के लिए भी अनजान नंबरों से प्रचार संदेश भेजना आम रणनीति का हिस्सा है।

आगे क्या होगा?

चुनाव से ठीक पहले यह विवाद और तेज़ हो सकता है। रिपब्लिकन पार्टी इस मुद्दे को राजनीतिक बहस का हिस्सा बना सकती है और “बिग टेक बनाम कंजरवेटिव” नैरेटिव को फिर से टूल दे सकती है। दूसरी ओर, Apple संभवतः अपने फीचर में कुछ स्पष्टीकरण या परिवर्तन कर सकता है, ताकि इसका प्रयोग चुनाव-प्रचार में भीव्यवधाब न बने।

निष्कर्ष

iOS 26 का नया टेक्स्ट फ़िल्टरिंग फीचर टेक्नोलॉजी और राजनीति के टकराव का एक और उदाहरण है। यह दिखाता है कि डिजिटल युग में तकनीकी बदलाव केवल यूज़र अनुभव को ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को भी प्रभावित कर सकते हैं।

आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि Apple इस विवाद को कैसे संभालता है और अमेरिकी राजनीति में इसका क्या असर पड़ता है। क्या यह फीचर चुनावी खेल बदल देगा या फिर केवल एक सुरक्षा अपडेट बनकर रह जाएगा – इसका जवाब समय ही देगा।