बेंगलुरु। भारतीय घरेलू क्रिकेट के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट दिलीप ट्रॉफी के इतिहास में एक नया सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। जम्मू-कश्मीर के युवा तेज गेंदबाज औकिब नबी ने सोमवार को एक शानदार हैट्रिक लेकर खुद को क्रिकेट की उस विशिष्ट सूची में शामिल कर लिया, जहाँ सिर्फ दो ही नाम पहले से दर्ज थे – भारतीय क्रिकेट के महानतम स्टार और 1983 विश्वकप विजेता कप्तान कपिल देव और मध्य प्रदेश के पूर्व गेंदबाज पृथ्वी चंद्रा

यह ऐतिहासिक पल आया बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में, नार्थ जोन और सेंट्रल जोन के बीच खेले जा रहे मैच के दूसरे दिन। औकिब ने लगातार तीन गेंदों पर तीन विकेट झटककर सेंट्रल जोन की पारी को ध्वस्त करने में अहम भूमिका निभाई और साबित कर दिया कि दूरदराज के राज्यों से भी भारत को भविष्य के स्टार मिल सकते हैं।

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कैसे बनी यह ऐतिहासिक हैट्रिक?

औकिब नबी की इस हैट्रिक ने मैच का पूरा नक्शा ही बदल दिया। उन्होंने जिस ओवर की शुरुआत की, उसकी चौथी गेंद पर उन्होंने सेंट्रल जोन के खिलाड़ी अमन मोहम्मद (61) को कैच आउट करवाया। अमन ने एक ओवर पहले ही अपना अर्धशतक पूरा किया था और टीम को मजबूत स्थिति में ले जा रहे थे।

  • पहला विकेट (चौथी गेंद): अमन मोहम्मद ने एक शॉर्ट ऑफ लेंथ गेंद पर पुल शॉट खेलने की कोशिश की, लेकिन गेंद उनके बल्ले के किनारे (एज) से लगी और सीधे स्लिप में खड़े फील्डर के हाथों में गई।
  • दूसरा विकेट (पांचवी गेंद): नई बैट्समैन आए ध्रुव जुरेल को औकिब ने एक शानदार यॉर्कर गेंद फेंकी। जुरेल इसका कोई जवाब नहीं बना सके और गेंद सीधे स्टंप पर जा लगी। विकेट बिखर गया और औकिब हैट्रिक के लिए तैयार हो गए।
  • तीसरा विकेट (छठवीं गेंद): हैट्रिक की गेंद पर नंबर 11 बैट्समैन मोहम्मद सिराज क्रीज पर थे। औकिब ने एक और सटीक यॉर्कर गेंद डाली, जो सिराज के बैट और पैड के बीच से होती हुई स्टंप्स पर जा लगी। उसी के साथ इतिहास बन गया और औकिब नबी का नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया।

कपिल देव और पृथ्वी चंद्रा का एक्सक्लूसिव क्लब

औकिब नबी से पहले दिलीप ट्रॉफी के 60 साल से भी अधिक लंबे इतिहास में सिर्फ दो ही गेंदबाज हैट्रिक ले पाए थे। इसलिए यह क्लब बेहद exclusive माना जाता है।

  1. कपिल देव: भारतीय क्रिकेट के लीजेंड कपिल देव ने यह कारनामा साल 1981-82 में किया था। उन्होंने नॉर्थ जोन की तरफ से खेलते हुए वेस्ट जोन के खिलाफ यह हैट्रिक ली थी। कपिल की इस उपलब्धि को अक्सर उनके शानदार करियर की एक और ऐतिहासिक घटना के तौर पर याद किया जाता है।
  2. पृथ्वी चंद्रा: हैट्रिक लेने वाले दूसरे गेंदबाज हैं मध्य प्रदेश के पृथ्वी चंद्रा। उन्होंने यह उपलब्धि 1993-94 के सीजन में हासिल की थी।

इस लिहाज से देखा जाए तो औकिब नबी ने 30 साल बाद इस क्लब में एंट्री ली है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।

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औकिब नबी: जम्मू-कश्मीर के उभरते सितारे

23 वर्षीय दाएं हाथ के इस मध्यम-तेज गेंदबाज के लिए यह उपलब्धि कोई एक रात का कमाल नहीं है। औकिब ने पिछले कुछ सीजन से अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा है।

  • उन्होंने अपनी प्रथम श्रेणी (First-Class) क्रिकेट की शुरुआत साल 2018 में की थी।
  • जम्मू-कश्मीर की तरफ से खेलते हुए उन्होंने अब तक 20 से ज्यादा प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं और 70 से अधिक विकेट अपने नाम किए हैं।
  • वह स्विंग और सटीक लंबाई के लिए जाने जाते हैं। उनकी यही सटीकता उन्हें हैट्रिक दिलाने में कामयाब रही।

इस हैट्रिक के बाद क्रिकेट जगत की नजरें अब उन पर टिक गई हैं। यह उपलब्धि न सिर्फ उनके करियर, बल्कि जम्मू-कश्मीर क्रिकेट के लिए भी एक बहुत बड़ा मोटिवेशन है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर से पर्फ़ोर्मेंस बेस्ड क्वॉलिटी क्रिकेटर्स कम ही निकले हैं, लेकिन औकिब जैसे युवाओं से इस क्षेत्र के क्रिकेट के भविष्य को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।

निष्कर्ष: भविष्य के लिए एक संदेश

औकिब नबी की यह हैट्रिक सिर्फ तीन विकेटों का आंकड़ा भर नहीं है। यह भारतीय घरेलू क्रिकेट की गहराई और उसमें छिपी प्रतिभा की एक झलक है। यह उन सभी युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा है जो छोटे शहरों से आते हैं और बड़े सपने देखते हैं।

कपिल देव जैसे महान खिलाड़ी ने जहाँ इस टूर्नामेंट की गरिमा को दशकों पहले बढ़ाया, वहीं आज एक नए युवा ने उसी मंच पर अपनी छाप छोड़ी है। इससे साफ है कि दिलीप ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट भारतीय क्रिकेट की रीढ़ हैं, जो नए कपिल देवों को तलाशने और तराशने का काम करते हैं। औकिब नबी का यह सफर अभी शुरुआत है, और क्रिकेट प्रेमी उम्मीद करेंगे कि वह इस प्रदर्शन को आगे भी जारी रखेंगे और भारतीय टीम के लिए खेलते हुए भी ऐसे ही कीर्तिमान स्थापित करेंगे।

Disclaimer (अस्वीकरण):

यह लेख समाचार रिपोर्टिंग और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए बनाया गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों, जैसे कि क्रिकेट समाचार वेबसाइटों, खेल पत्रकारिता रिपोर्ट्स, और आधिकारिक क्रिकेट बोर्ड (BCCI) से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। हालाँकि, घटनाएँ तेजी से बदलती रहती हैं और कोई भी जानकारी पूर्ण रूप से त्रुटिरहित नहीं है।

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