नई दिल्ली, 28 अगस्त 2025

भारत पर अमेरिकी टैरिफ नीति को लेकर योग गुरु रामदेव ने एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने भारतीय नागरिकों से आह्वान किया है कि वे अमेरिकी कंपनियों और उत्पादों का व्यापक बहिष्कार करें। रामदेव ने कहाहै कि यदि भारतीय उपभोक्ता पेप्सी, कोका-कोला, केएफसी, मैकडॉनल्ड्स और अन्य अमेरिकी ब्रांडों का प्रयोग बंद कर दें, तो अमेरिका में अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और वहाँ “अराजकता फैल सकती है।”

50% टैरिफ का विवाद: पृष्ठभूमि

27 अगस्त 2025 से अमेरिका में भारत से आने वाले कई उत्पादों पर 50% टैरिफ (आयात कर) प्रभावी हो गया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब भारत और रूस के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंधों पर अमेरिका ने आपत्ति जताई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय अमेरिका की आर्थिक और राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है।

रामदेव ने इस कदम को “बदमाशी, गुंडागर्दी और तानाशाही” बताया। उनका तर्क है कि ऐसे टैरिफ से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा घट सकती है और छोटे व्यवसाय प्रभावित हो सकते हैं।

रामदेव का बयान: बहिष्कार से अमेरिका में अराजकता?

Ramdev calls for boycott of US products over tariffs on India

रामदेव ने एएनआई से बातचीत में कहा,

उन्होंने दावा किया कि यदि भारत के लोग अमेरिकी ब्रांड्स का इस्तेमाल बंद कर दें तो अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी और ट्रंप प्रशासन को टैरिफ वापस लेना पड़ेगा।

अमेरिकी ब्रांड्स का भारत में प्रभाव

भारत में अमेरिकी ब्रांड्स का बाजार बहुत बड़ा है।

पेप्सी और कोका-कोला जैसे शीतल पेय बाजार में लगभग 70% हिस्सेदारी रखते हैं।

मैकडॉनल्ड्स और केएफसी जैसे फास्ट-फूड चेन की देशभर में हजारों आउटलेट्स हैं।

सबवे और स्टारबक्स जैसे ब्रांड भी बड़े शहरों में खास लोकप्रिय हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि यदि बड़े पैमाने पर बहिष्कार होता है, तो इन कंपनियों की आय पर असर पड़ेगा। हालांकि, अमेरिका में इसका आर्थिक असर कितना व्यापक होगा, इस पर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है।

राजनीतिक और आर्थिक असर

रामदेव का यह बयान केवल आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश भी देता है। अमेरिका-भारत संबंध लंबे समय से व्यापार और रणनीतिक सहयोग पर आधारित रहे हैं। लेकिन उच्च टैरिफ से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को ऐसे टैरिफ का जवाब नीति-स्तर पर बातचीत और वैश्विक मंचों के माध्यम से देना चाहिए, क्योंकि सीधा बहिष्कार उपभोक्ताओं की पसंद और रोजगार पर भी असर डाल सकता है।

निष्कर्ष: आगे क्या?

रामदेव की अपील ने बहस छेड़ दी है कि क्या भारत को अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए या राजनयिक वार्ता के जरिए समाधान निकालना चाहिए।

एक तरफ राष्ट्रवादी भावनाओं के चलते अमेरिकी उत्पादों के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ सकती है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक अर्थव्यवस्था की आपसी निर्भरता को देखते हुए दोनों देशों के लिए समझौते का रास्ता खोजना जरूरी है।

अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का वास्तविक आकलन आने वाले महीनों में होगा। लेकिन इतना तय है कि इस विवाद ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

(यह रिपोर्ट मौजूदा घटनाओं पर आधारित है और इसका उद्देश्य पाठकों को आर्थिक और राजनीतिक संदर्भ में पूरी जानकारी देना है।)